Shershah Movie Real Story In Hindi

“हमारा झंडा इसलिए नहीं लहराता क्योंकि हवा चलती हैं वल्कि यह हर उस सैनिक की आखिरी सांस के साथ लहराता हैं जो इसकी रक्षा करते हुए शहीद हो गया”।

दोस्तों आज कल एक मूवी की विशेष चर्चा हो रही हैं जिसका नाम हैं “शेरशाह” और मुझे लगता हैं हर भारतीय को यह पिक्चर और आज का हमारा आर्टिकल जिसका नाम Shershah Movie Real Story In Hindi हैं आज जरूर पढ़ना चाहिए।

क्योंकि आज हम इस लेख के माध्यम से भारत के वीर और गौरव हासिल करने वाले एक महान योद्धा के बारे में बताने वाले हैं जिसे सुनकर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जायेगा।

उस महान वीर का नाम था विक्रम बत्रा, जिन्हे शेरशाह मूवी के माध्यम से दिखाया गया हैं और इसलिए आज आपको यह आर्टिकल बहुत ध्यान से पढ़ना चाहिए।

समय समय पर कई वीरों के ऊपर पिक्चर बनती रहीं हैं और समाज का विशेष आकर्षण भी इन्हे मिलता हैं यह साबित करता हैं की आज भी लोग अपने वतन और देश से उतना ही प्रेम करते हैं जितना कोई भौजी हमारे देश से करता हैं।

शेरशाह मूवी को विक्रम बत्रा के जीवन और कारगिल युद्ध पर फिल्माया गया हैं इस पिक्चर में विक्रम बत्रा का रोल सिद्धार्थ मल्होत्रा करने वाले हैं, आइए विक्रम बत्रा के जीवन को और बारीकी से जानते हैं।

विक्रम बत्रा का जन्म कब हुआ था?

दोस्तों विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में हुआ था। विक्रम बत्रा ने अपनी शुरुवाती पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय से की और आगे की पढ़ाई उन्होंगे DAV College जो चंडीगढ़ में हैं वहा से उन्होंने Bsc में ग्रेजुएशन किया।

विक्रम बत्रा का जीवन परिचय?

कॉलेज के दौरान वो NCC में हिस्सा लेते हैं और उन्हें NCC का बेस्ट कैडेट भी चुना गया और बाद में वो मर्चेंट नेवी में शामिल हुए लेकिन उन्हें कुछ बड़ा करना था।

इसलिए उन्होंने मर्चेंट नेवी को छोड़कर आर्मी में जाने का फैसला किया और मर्चेंट नेवी की लाखो की नौकरी छोड़कर आर्मी में भर्ती हो गए।

इसके बाद साल 1996 में इंडियन मिलिट्री एकेडमिक देहरादून से उन्ही ट्रेनिंग शुरू हुई और 6 दिसंबर 1997 को एकेडमिक से पास होकर 13th जम्मू कश्मीर रायफल में विक्रम बत्रा शामिल हो गए।

1999 में जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ तब विक्रम बत्रा ने बेलगाम में एक कमांडो ट्रेनिंग पूरी की थी और होली की छुट्टी मनाने के लिए वो अपने घर पालमपुर गए थे।

घर आने पर वो हमेशा की तरह अपने एक दोस्त के साथ कैफे में बैठकर कॉफी पी रहे थे जहां उनके दोस्त ने उनसे कहा, युद्ध शुरू हो गया हैं कौन जानता हैं की तुम्हे युद्ध के लिए कब ऑर्डर आ जाए इसलिए अपना ध्यान रखो।

विक्रम बत्रा ने जहां – चिंता मत करो, या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा आऊंगा या फिर उसमे लिपटकर आऊंगा लेकिन मैं आऊंगा जरूर।

विक्रम बत्रा जिस समय कॉलेज में थे उन्हे एक लड़की से प्यार हो गया था और उन्होंने उस लड़की से कहां भी था की मैं युद्ध से लौटकर आऊंगा तो हम शादी कर लेंगे, वो लौटकर तो आए लेकिन तिरंगे में लिपटकर।

इसके बाद उस लड़की ने आजतक शादी नहीं की, शायद लोग सही कहते हैं ऐसा प्यार बहुत कम लोगों को मिलता हैं।

विक्रम बत्रा का बलिदान

दोस्तों Shershah Movie Real Story In Hindi यह जानने के बाद अब आपको असली स्टोरी के बारे में बताते हैं जिसके ऊपर पूरी पिक्चर बनने वाली हैं।

26 जुलाई सन 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वीरों ने पाकिस्तान के खिलाफ एक गंभीर और निर्णायक युद्ध जीता जो आज भी हमारे दिलों में हैं।

कारगिल युद्ध अब तक का सबसे दुर्गम और जटिल युद्ध माना जाता हैं क्योंकि वहा विशाल पर्वत की चोटियां हैं जो दुश्मन के किए एक बहुत अच्छा सुनहरा मौका था।

क्रूर युद्ध में कई बहादुर युवा सैनिकों ने कारगिल में अपने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी,

जिसे 21 साल से भी ज्यादा समय हो गया हैं लेकिन कारगिल के नायकों का अदुतीय साहस और बलिदान देश की सामूहिक स्मृति में आज भी अंकित हैं।

कारगिल युद्ध का विजय पथ?

कैफे में बैठकर कॉफी पीने के तुरंत बाद ही विक्रम की यूनिट को कारगिल जाने का आदेश मिला और इसके बाद उन्होंने 1 जून 1999 को ड्यूटी के लिए रिपोर्ट किया।

इसके 18 दिन बाद ही 19 जून 1999 को उन्हे उनकी अपनी बड़ी लड़ाई का ऑर्डर आया जहां उन्हें 5140 पर कब्जा करने का आदेश दिया गया, दुश्मन काफी ऊंचाई पर था जिसका दुश्मन को बहुत फायदा हो रहा था।

इसके बावजूद विक्रम और उनकी यूनिट ने पाकिस्तानी सैनिकों पर हमला किया और उनके शिविर को भी मार गिराए जिसके बाद पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराए गया और 13 जम्मू कश्मीर रायफल्स ने एक निर्णायक विजय प्राप्त की।

इस जीत ने भारत की उस क्षेत्र पर पकड़ और मजबूत की, जीत हासिल करने के बाद विक्रम ने अपने कमांडर को मैसेज देते हुए कहां “ये दिल मांगे मौर”

यह फोटो यंग कैप्टन विक्रम बत्रा की हैं जो anti-aircraft हाथ में लिए मुस्कुरा रहे हैं
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यह फोटो यंग कैप्टन विक्रम बत्रा की हैं जो anti-aircraft हाथ में लिए मुस्कुरा रहे हैं जो उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को मारकर प्राप्त की थी, इसके बाद यह फोटो tv news पर फेमस हो गई।

20 जून को विक्रम बत्रा के पिता को सुबह फोन आया जो वो आज भी नहीं भूल पाए हैं क्योंकि उन्हें उस कॉल को समझने में थोड़ा समय लगा था जो विक्रम बत्रा ने अपने पिता को किया था।

“पिताजी, मैंने दुश्मन की चौकी पर कब्जा कर लिया हैं। मैं ठीक हूं मैं ठीक हूं। पिता का उत्तर – “बेटा मुझे तुम पर गर्व हैं भगवान तुम्हे बहुत आगे बढ़ाए ऐसा कहते हुए कॉल कट जाता हैं और उन्हें पिता मुस्कुराते हुए अपने बेटे की उपलब्धियां दोहराने लगते हैं।

इसके 9 दिन बाद एक और महत्वपूर्ण ऑपरेशन पर जाने से पहले उन्होंने अपने पिता को बेस कैंप से फोन किया और कहां की पिताजी आप चिंता न करें “मैं एक दम ठीक हूं” यह आखिरी बार था जब उन्होंने अपने पिता से बात की थी।

विक्रम बत्रा का अगला मिशन कारगिल के दौरान किए गए सबसे कठिन पर्वतीय युद्ध अभियानों में से एक था, 17000 फीट ऊंचे 4875 प्वाइंट पर कब्जा करना।

इस चोटी की बर्फीली ढलान 80 डिग्री खड़ी थी और पाकिस्तानी सैनिकों ने 16000 फीट की ऊंचाई पर खुद को तैनात किया।

इस फोटो में विशाल बत्रा अपने भाई विक्रम बत्रा को लैटर लिखकर उनसे उनका हाल चल पूछ रहे हैं की वो कैसे हैं और घर कब तक आयेंगे.
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7 जुलाई की रात को विक्रम और उनकी यूनिट ने भारतीय सेना को मजबूत करने के लिए कठिन चढ़ाई शुरू की जहां पहले से ही 16000 फीट पर दुश्मन मौजूद थे।

दुश्मन को अब पता चल चुका था की दुर्जेय शेर शाह (विक्रम शाह का कोड नाम) आ गया हैं जिसके बाद दुश्मनों ने हमला और तेज कर दिया क्योंकि उन्हें पता था की शेर शाह कौन है और क्या कर सकता हैं।

विक्रम ने अपने दोस्तों और साथी अधिकारी अनुज़ नैय्यर के समर्थन से क्रूर रूप से दुश्मन पर हमला किया और दुश्मन के बंकरों को साफ़ किया और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।

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अब मिशन लगभग खत्म हो चुका था लेकिन जूनियर ऑफिसर का पैर विस्फोट से घायल हो गया जैसे ही विक्रम बत्रा उसे बचाने के लिए बंकर से बाहर निकले उस सूबेदार ने कहां सर आप यहां मत आइए आप यहां से दूर जाइए।

लेकिन विक्रम बत्रा ने कहां “तू बाल बच्चेदार हैं हट जा पीछे” भरी गोलीबारी के दौरान उन्होंने दुश्मन की मशीन गन और बंकरों पर हथगोले फेंके और घायल सैनिक की तरफ बढ़ते हुए 5 सैनिक भी मार गिराए।

जैसे ही वह घायल सैनिक को उठाने के लिए आगे बढ़े तभी उनके सीने में गोली लगी और मिशन को खत्म करते करते वो देश के लिए शहीद हो गए, युद्ध में उनके साथी अनुज नैय्यर भी दुश्मन के बंकर में शहीद हो गए।

सुबह होते होते भारत ने peak 4875 पर फिर से कब्जा कर लिया जिसे आज विक्रम बत्रा के नाम से जाना जाता हैं लेकिन भारत ने 2 बहादुर बेटे उस युद्ध मे खो दिए।

विक्रम बत्रा के अंतिम संस्कार में उनकी मां ने कहां शायद यही करना था “की भगवान ने मुझे 2 जुड़वा बच्चे दिए एक देश के लिए और एक मेरे लिए”

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आज उनका स्टेच्यू पालमपुर के टाउन स्क्वायर में एक और महान महान सैनिक मेजर सोमनाथ शर्म भारत के पहले परमवीर चक्र से सम्मानित जो पालमपुर के थे उनकी प्रतिमा के पास सुशोभित हैं।

Shershah Movie Real Story In Hindi यह विषय अब आपको बहुत अच्छे से समझ आ गया होगा।

FAQ

दोस्तों आपको आज विक्रम बत्रा से जुड़े कई महत्वपूर्ण FAQ भी जरूर जानना चाहिए।

विक्रम बत्रा कारगिल में शहीद हुए थे।

क्योंकि वे किसी शेर की तरह अपने दुश्मन को मारने में माहिर थे इसलिए उन्हें शेरशाह कहा जाता था।

विक्रम बत्रा को परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था जो मिलिट्री का सर्वोपरि सम्मान हैं जिसे 15 अगस्त सन 1999 को विक्रम बत्रा के पिता के द्वारा प्राप्त किया था।

निष्कर्ष?

दोस्तों मुझे पूरी उम्मीद हैं Shershah Movie Real Story In Hindi इस लेख से आज आपको भारत के वीर सपूतों और सैनिकों के लिए इज्जत और भी कई गुना बढ़ गई होगी।

हम सभी देश वासियों को आज भी गर्व हैं जो हमारे वीर सैनिकों ने अपनी जान की कुरवानी देकर देश को आजादी दिलाई हैं,

हम Shershah Movie Real Story In Hindi तथा आने वाली फिल्म शेरशाह की भी रिस्पेक्ट करते हैं क्योंकि इसी के माध्यम से हमारे वीर सैनिकों की कहानी और लोगों को भी जानने का मौका मिलेगा।

मुझे उम्मीद हैं आज का आर्टिकल जिसका नाम Shershah Movie Real Story In Hindi आपको जरूर पसंद आया होगा, अगर आपको इस पोस्ट से आज कुछ सीखने को मिला हैं तो कमेंट जरुर करें।

हमें और कौन से टॉपिक पर आर्टिकल लिखना चाहिए अब हमे यह भी बता सकते हैं अंत तक पोस्ट पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

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