ब्लैक फंगस क्या है? ब्लैक फंगस कैसे होता है?

दोस्तों लगभग 2 सालों का समय पूरा होने वाला है लेकिन पूरी दुनिया कोरोना को अभी तक हरा नहीं
पाई है, बढ़ते समय के साथ कोरोना की अलग अलग लहर आई है जिसकी वजह से नए किस्म के
इन्फेक्शन भी सामने आ रहे है इसलिए ब्लैक फंगस क्या है? ब्लैक फंगस कैसे होता है?
यह आपको समझना बेहद जरूरी हो जाता है।

बहुत से लोग ब्लैक फंगस को एक नई बीमारी बता रहे है और लोगों को डराने का काम कर रहे है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हैं ब्लैक फंगस बहुत ही मालूमी चीज है लेकिन कोरोना से लड़ने के लिए कई दवाइयों को दिया जा रहा है जिससे शरीर कमजोर हो रहा है जिसकी वजह से यह हो रहा है।

ऐसा बिल्कुल नहीं है की ब्लैक फंगस कोई नई चीज है अगर आपने कभी देखा होगा कि, रोटी में भी
कभी कभी फफूंद लग जाती है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसको खुला रख देते है या ऐसा खासकर
बारिश के मौसम में होता है क्योंकि उस समय नमी ज्यादा होती है जिससे रोटी में फफूंद लग जाती है
इसका ब्लैक कलर होने की वजह से इसे ब्लैक फंगस कहा जाता है।

इसलिए इस लेख को आखिरी तक पढ़े क्योंकि आपको सही जानकारी होना बहुत जरुरी है, यह ब्लैक फंगस बहुत मामूली चीज है लेकिन ऐसा क्या हुआ की इससे लोगों की मौत हो रही है, ब्लैक फंगस क्या है? ब्लैक फंगस कैसे होता है यह जानने से पहले आपको जानना होगा की हमारी बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता काम कैसे करती है।

साइटोकाइन क्या होता है?

सबसे पहले बात करते है शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे काम करती है? जब हमारे शरीर पर
कोई बैक्टीरिया या वायरस हमला करता है उसे हम इन्फेक्शन कहते है जैसे मच्छर हमारे हाथ पर काट
लेता है तो उस जगह पर इंजेक्शन हो जाता है और जब हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता उस इन्फेक्शन को
मारती है तो उसको इन्फ्लेमेशन कहते है।

इन्फ्लेमेशन के कुछ संकेत होते है जैसे आपको मच्छर ने काटा तो वह जगह लाल और गर्म हो जाती
है और सूज जाती है यह इसलिए होता है क्योंकि वहां इन्फ्लेमेशन की प्रोसेस शुरू हो गई है मतलब
शरीर ने उस इन्फेक्शन को मिटाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है इसलिए उतना हिस्सा गर्म
और लाल होने लगता है। इसी प्रकार जब लोगों को कोरोना होता है तो बहुत तेज बुखार आ जाता है
इसका मतलब की शरीर ने उससे लड़ना शुरू कर दिया है।

जब इन्फ्लेमेशन उस हिस्से को रिकवर करता है तो साइटोकाइन मैसेज छोड़ने लगता है और शरीर को यह बताने का काम करता है की इन्फेक्शन ने हमला किया है और जल्द से जल्द उसको ठीक करो। साइटोकाइन कम्युनिकेशन का काम करता है शरीर को यह बताता है की कहां इन्फेक्शन है और इसी की वजह से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता उस हिस्से को ठीक करने में लग जाती है इसलिए वह हिस्सा गर्म और लाल होने लगता है और बुखार भी आने लगता है।

लेकिन कोरोना एक दम नया वायरस होने के कारण हमारा शरीर उसे पहचान नहीं पाता है और इतना
ज्यादा साइटोकाइन निकलने लगता है एक आंधी सी आ जाती है साइटोकाइन का एक ही लक्ष्य होता
है की इन्फेक्शन को मारो और नया वायरस होने के कारण शरीर समझ नहीं पाता इन्फेक्शन कहां है इसी वजह से साइटोकाइन में अफरा तफरी
मच जाती है हर तरफ मारो मारो होने लगता है।

इसकी वजह से उल्टा हमें ही नुकसान होने लगता है इतना नुकसान होने लगता है साइटोकाइन हमारे ही
फेफड़ों को मारने लगता है इसी की वजह से कई लोगों को हार्ट अटैक आ रहा है और लोगों की
किडनी फेल हो रही है क्योंकि हमारा शरीर समझ नहीं पा रहा है की किसको मारना है वह इतना
ज्यादा साइटोकाइन निकलता है की खुद को चोट पहुंचने लगती है।

स्टीरॉयड क्या होता है?

अब यहां आपने कई बार यह भी सुना होगा की डॉक्टर स्टीरॉयड दे रहे है ताकि मरीज को ठीक किया जा सके। अभी जैसे मैंने आपको बताया कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता ही हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाने लगती है कहने का मतलब यह है की कोरोना तो हमारे फेफड़ों को बाद में खत्म करेगा उससे पहले हमारी शरीर की फौज ही खुद को खत्म कर लेगी,

इसी फौज़ को शांत करने के लिए ताकि शरीर खुद को नुकसान न पहुंचा पाए इसलिए स्टीरॉयड दिया जाता है ताकि अंदर की आंधी को शांत किया जा सके वर्ना शरीर इतना हमला करता है की हमारे फेफड़े बंद हो जाते है जिससे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है और उनकी मौत हो जाती है। इसी अंडर की खतरनाक फौज को शांत करने के लिए स्टीरॉयड दिया जाता है कहने का मतलब है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने के लिए यह दिया जाता है ताकि शरीर खुद को नुकसान न पहुंचाएं।

हमारे यहां स्टीरॉयड के रूप में “डेक्सामेथासोन” दिया जाता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है ताकि शरीर में नुकसान सिर्फ सिर्फ कोरोना से हो और फेफड़ों को बचाया जा सकें, बाद में रेमडेसिविर दिया जाता है और यह सीधा जाकर कोरोना को कन्फ्यूज करने लगता है जिससे कोरोना समझ ही नहीं पता की मुझे आगे क्या करना है इसी वजह से कोरोना खत्म होने लगता है।

डेक्सामेथासोन कब देना चाहिए?

जब यह दवाई हमारे लिए इतनी कारगर है तो इससे मौतें क्यों हो रही है? भारत में आज भी कुछ ऐसे लोग है जो खुद को डॉक्टर समझते है और दूसरे की सुनी बात के अनुसार मरीज को कोरोना होने पर सीधे स्टीरॉयड(डेक्सामेथासोन) दे देते है जिससे मरीज की मौत हो जाती है ऐसा क्यों होता है आइए इसे समझते है,

जैसे की किसी व्यक्ति को कोरोना हुआ है तो उसके शुरुवाती दिनों में हमारा शरीर ही उस कोरोना से लड़ने में सक्षम होता है और वह उसको मार कर भागा देता है लेकिन कई बार लोग बिना सोचे जल्दी ठीक होने की होड़ में स्टीरॉयड(डेक्सामेथासोन) ले लेते है जिससे यह होता है की हमारे शरीर की फौज़ शांत हो जाती है जिससे कोरोना को रोकने के लिए शरीर काम नहीं कर पाता है और मरीज की मौत हो जाती है।

ब्लैक फंगस क्या है? ब्लैक फंगस कैसे होता है?

स्टीरॉयड(डेक्सामेथासोन) हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को दबा देता है मतलब कमजोर कर देता है और यहीं से ब्लैक फंगस का खतरा पैदा हो जाता है। अगर आप अपने उतार कर 1 महीने के लिए रख देंगे तो नमी होने के कारण उसमें ब्लैक फंगस आ जायेगा इसका मतलब यह बहुत मामूली सी चीज है तो फिर इससे मौत कैसे हो रही है?

हमारे शरीर में भी ब्लैक फंगस पैदा हो जाता है लेकिन पसीना उसको खत्म कर देता है लेकिन जब किसी को कोरोना होता है तो उसको स्टीरॉयड(डेक्सामेथासोन) दिया जाता है जिससे उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और हमारा शरीर इतने मामूली से ब्लैक फंगस से भी लड़ने के काबिल नहीं रहता और फिर यह शरीर में फैलने लगता है। अब समझते है की ब्लैक फंगस शरीर में कहां से आता है?

ब्लैक फंगस कैसे होता है?

जब कोई कोरोना मरीज ज्यादा सीरियस हो जाता है तो उसको स्टीरॉयड(डेक्सामेथासोन) देना मजबूरी है ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता को शांत किया जा सकें, और मरीज़ की हालत गंभीर होने पर उसको ऑक्सीजन दिया जाता है और वेंटीलेटर पर रखा जाता है। ऑक्सीजन जब दिया जाता है तो उसमे नमी होती है जो हमारे नाम के आसपास जमा हो जाता है और फिर नाक के रास्ते ही शरीर में घुस जाता है।

जब ब्लैक फंगस शरीर के बाहर होता है तो मामूली लगता है लेकिन शरीर के अंदर आने पर यह शरीर के लिए घातक बन जाता है और कई बार यह दिमाग में पहुंच जाता है जिसे कोई भी डॉक्टर ठीक नहीं कर सकता और मरीज की मौत हो जाती है।

ब्लैक फंगस सभी कोरोना मरीजों को नहीं होता है यह सिर्फ उन्ही को हो रहा है जिन्हे स्टीरॉयड(डेक्सामेथासोन) दिया गया है और जिन्हे ऑक्सीजन दिया गया है क्योंकि ऑक्सीजन के दौरान ही नाम में नमी हो जाती है जिससे यह अंडर घुस जाता है।

ब्लैक फंगस के लक्षण क्या है?

  1. ब्लैक फंगस के लक्षण में सबसे पहला यह है की नाक से पानी आता है और यह पानी हल्का भूरा रंग का होता है और अगर नाक को ध्यान से देखेंगे तो अंदर धब्बा धब्बा बन जाता है यह इसकी सबसे पहली पहचान है।
  2. नाक से अंडर घुसने के बाद यह गले तक पहुंचता हैं जिससे खासी या उल्टी होने लगती है और कभी कभी उल्टी में खून आने लगता है, नाक अंडर से सूज भी जाती है।
  3. इसके बाद यह आंखो में पहुंचता है जिससे आंखे लाल और अंदर से सुजने लगती है और आंख के रास्ते दिमाग में पहुंच गया तो कोई नहीं बचा सकता। कभी कभी यह आंखो को बहुत ज्यादा इनफेक्ट कर देता है जिससे आंख तक निकलती पड़ जाती है।

लेकिन ब्लैक फंगस सबको नहीं होता है जिसको स्टीरॉयड(डेक्सामेथासोन) दिया गया हो और जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है ब्लैक फंगस उनको होने का खतरा बढ़ जाता है। जिसे बहुत ज्यादा शुगर है या फिर हाई ब्लड प्रेशर वालें मरीज तथा ऐसे लोग जिन्हे HIV हैं उन्हें यह ब्लैक फंगस होने का खतरा बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

दोस्तों मुझे पूरी उम्मीद है कि अब आपको बहुत अच्छी तरह से समझ आ गया होगा की ब्लैक फंगस क्या है? ब्लैक फंगस कैसे होता है? ध्यान रखें की जिसे कोरोना हुआ है बिना डॉक्टर की सलाह के उसे किसी भी तरह की दवाई न दें इससे कभी कभी मरीज की मौत तक हो जाती है।

मैंने इस पोस्ट में लगभग सारी बातें आपको बहुत ही सरल तरीके से बताई है और फिर से याद रखे की ब्लैक फंगस सभी को नहीं होता लेकिन हमें सावधान जरूर रहना है ताकि कोरोना न हो क्योंकि सारी समस्या कोरोना के बाद ही शुरू होती है।

इस पोस्ट को कृपया करके अपने फैमिली मेंबर और सभी दोस्तो को ज़रूर भेजें ताकि उन्हें भी जानने में आसानी हों की ब्लैक फंगस क्या है? ब्लैक फंगस कैसे होता है? अंत तक इस पोस्ट को पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

FAQ

1. क्या ब्लैक फंगस शरीर में एक जगह से दूसरी जगह फैल सकता है?

अगर आपका कोई पार्ट ब्लैक फंगस से इंफेक्टेड है तो उसमे सूजन और जलन होती है और वह एरिया लाल हो जाता है जिससे दर्द बहुत ज्यादा होता है। ब्लैक फंगस शरीर के दूसरे हिस्से में भी ब्लड के माध्यम से फैल सकता हैं जिसे disseminated mucormycosis कहते हैं।

2. ब्लैक फंगस क्या है?

mucormycosis जिसे ब्लैक फंगस भी कहा जाता है। ब्लैक फंगस एक तरह का इन्फेक्शन है जो नमी वाले जगह पर होता है लेकिन सही इलाज़ न मिलने से यह जानलेवा भी साबित होता है, इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवाई न लें।

3. ब्लैक फंगस किसको हो रहा है?

ब्लैक फंगस होने का खतरा सभी लोगों को नहीं है लेकिन जिनकी हालत कोरोना से बहुत सीरियस हो और ऐसे मरीज जिन्हे स्टीरॉयड काफी ज्यादा दिया हो क्योंकि इससे हमारी बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और बॉडी में नमी होने के कारण ऑक्सीजन के पाइप से नाक के द्वारा यह ब्लैक फंगस अंदर पहुंच जाता है।

4. ब्लैक फंगस कहां से आया?

ब्लैक फंगस कोई नई चीज नहीं है, अक्सर आपने देखा होगा नमी वाली जगह पर फफूंद(फंगस) लग जाती है ठीक उसी तरह कोरोना के मरीजों को स्टीरॉयड दिया जा रहा है जिससे शरीर कमजोर हो जाता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी कम हो जाती है की इतने छोटे से फंगस से लड़ नहीं पाती और बॉडी में ब्लैक फंगस फैल जाता है।

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